बुधवार, 14 अप्रैल 2010

दंतेवाड़ा का सच

कुछ बातें जो मै सोचता हूँ .........
नक्सली हिंसा का सख्त विरोध होना चाहिए ....... पर सरकार प्रायोजित हिंसा का भी
किसी एक व्यक्ति की सनक के कारण (पी चिदंबरम) पूरा समाज मुद्दे को गलत तरीके से देख रहा है।
किसी क्षेत्र को प्रशासनिक नियंत्रण में लेना एक बात है और सी आर पी के द्वारा काम्बिंग करना दूसरी बात।
गर हम अपने लोगो को ही ढूंड कर मारना चाहते थे तो नक्सलियो ने क्या गलत किया अपनी सोच में वो भी सही हैं , जवान पिकनिक मनाने तो वहाँ गए नहीं थे
सरकार की ताकत के सामने नक्सली कहीं नहीं ठहर सकते फिर भी हमारे ७६ जवान मारे गए, इससे पहले २६/११ को भी हम असहाय दिखे थे ....... क्या देश वाकई सुरक्षित है ? हमारे जवानों की जान की कीमत शायद सत्ता में बैठे लोगो के लिए कोई मायने नहीं रखती ......