रविवार, 23 जनवरी 2011

ऐश्वर्या चली गयी .......क्या उसे हमने नहीं मारा ?

१६ साल की एक लड़की जिसने अभी दुनिया देखनी शुरु की थी ,
गोरखपुर में एक रोड एक्सिडेंट में मर जाती है पर इस मरे हुए लोगो के
शहर को कोई फर्क नहीं पड़ता .उलटे कुछ लोग उसकी गलतिया भी बता सकते हैं.
क्योकि वह हमारे घर की नहीं थी (NIMBY -NOT IN MY BACKYARD )
पर अगली लड़की हमारी बेटी या फिर बहन हो सकती है ।
अखबारों में भी यह खबर एक दिन और एक कालम में सिमट गयी क्यूंकि वह एक लड़की थी .
दुनिया कहती है SAVE PETROL SAVE MONEY ,एक साथ MOTORCYCLE या CAR से जाये गर एक ही जगह जाना हो .
गर लड़का-लड़का या लड़की -लड़की जाए तो ठीक , कोई ये नहीं पूछता एक ने अपनी बाइक कहा खड़ी की ?
पर लड़का -लड़की दोस्त हो एक साथ जाये तो गलत कैसे ? आप इतने दावे से कैसे कह सकते हैं वो गलत ही हो सकते हैं ?मेडिकल कॉलेज रोड पर सालो से यह जरुरत महसूस की जा रही है की रोड को चौड़ा किया जाए , DIVIDER बनाया जाए . पर प्रशासन को कोई मतलब नहीं
हर कुछ दिन पर कोई न कोई मरता रहता है , हमारा NO कब आ जाये पता नहीं ?
दिन के दो बजे शहर के अन्दर ट्रक कैसे चल रहा था , कभी ट्रक कभी ट्रेक्टर से बच्चे मरते रहे . पर पुलिस से कोई क्यों नहीं पूछता ?????????
हम नीद में ही रहेगे क्यूंकि हम बेशर्म हैं , ये तो एक दो हैं , यहाँ तो हर साल सैकड़ो बच्चे दिमागी बुखार से मर जाते हैं .

सोमवार, 17 जनवरी 2011

कांग्रेस और महंगाई

कांग्रेसी भी ज्यादा गलत नहीं हैं , दिक्कत है मैनेजमेंट में , पूंजीवादी बाज़ार में समायोजन बाज़ार की शक्तियों और योग्तम की उत्तरजीविता
के आधार पर होता है पर सरकार कल्याणकारी राज्य की तरह लोगो के जीवन को पुश करके बेहतर बनाने का भी प्रयास करती है.
यहाँ जरुरी होता है सरकारी तंत्र ढंग से और बेहतर काम करे पर यह कोई काम करना ही नहीं चाहता .