Ek hi kyo, kai duniya mumkin hai par insan har duniya me ek se hi ho jate hai(lambe samay me). Is liye duniya kaun si behtar hogi kah nahi sakte. kyo ki duniya sirf geography nahi ho sakti.
yakeenan, bhai rakesh, आपकी चिंता जायज है. हमारी कोशिश कुछ यह है की पढ़ने-लिखने-और दुनिया को समझाने के तरीके और औजार बदलने जरूरी हैं. हमारी कोशिश पर नज़र डाल कर बताइयेगा की बात आपको जमी या नहीं,
लिंक नीचे है
"देशी भाषाओँ में समाज विज्ञान" पर बातचीत कीजिये. http://samajvigyan.blogspot.com/
is duniya me kai duniya hai,, bhai jaan.....apni vali dekh lo.......
जवाब देंहटाएंEk hi kyo, kai duniya mumkin hai par insan har duniya me ek se hi ho jate hai(lambe samay me). Is liye duniya kaun si behtar hogi kah nahi sakte. kyo ki duniya sirf geography nahi ho sakti.
जवाब देंहटाएंyakeenan,
जवाब देंहटाएंbhai rakesh,
आपकी चिंता जायज है. हमारी कोशिश कुछ यह है की पढ़ने-लिखने-और दुनिया को समझाने के तरीके और औजार बदलने जरूरी हैं.
हमारी कोशिश पर नज़र डाल कर बताइयेगा की बात आपको जमी या नहीं,
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पंकज पुष्कर