छत्तीसगढ़
में रात के अँधेरे में आदिवासिओ को मारकर उन्हें नक्सली बना दिया जाता है
... ऊपर से कह रहे की अँधेरे में एरिया वेपन का प्रयोग नहीं किया .. क्या
कम है...? तर्क देते हैं जब सुरक्षा बल मारे जाते हैं तब मानवाधिकारवादी
कुछ नहीं बोलते ....भारत के मूल वासी ये आदिवासी ही हैं ..... ये हमें समझना होगा ....संसाधनों
पर पहला हक़ उनका है ... क्यूंकि अभी भी वह प्रकृति के साथ जुड़े हुए हैं
... उन क्षेत्रो को प्रशासनिक नियंत्रण में लेना चाहिए ..न की उन्हें ख़त्म
करने को कोशिश करनी चाहिए... वे उस प्रोपगंडा( तथाकथित माओवादी ) का साथ
तब छोड़ेगे जब उन्हें लगेगा हम ( भारत सरकार) ज्यादा सही हैं .
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