वह झांडू लगाने वाली औरत
रोज़ सुबह दिखाई देती है ,
उस रास्ते पर
जहाँ से मुझे जाना अच्छा लगता हे
क्यूंकि वहां है एक ऐसा घर
जिसे शहर के कुछ लोग
अपना घर के नाम से जानते हैं ,
जिसमे रहते हैं स्टेशन पर
रहने वाले कुछ बच्चे ,
पर आजकल उस रास्ते से जाना
मुझे अच्छा नही लगता
क्यूंकि
आजकल दिखाई देती हैं
वह दो छोटी लड़किया
जो उस औरत के साथ
सफाई करती नज़र आती हैं
उस रास्ते की ,
और उसमे से एक बमुश्किल
सात- आठ साल की है ।
गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009
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vow, great
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